दिल्ली के कोविड अस्पतालों में दोगुना तक कम हुई मृत्युदर 

नई दिल्ली

सांकेतिक तस्वीर

राजधानी के कोविड अस्पतालों में कोरोना मरीजों की मौतों की संख्या अब दोगुना तक कम हो गई है। जून के शुरुआती 12 दिनों के मुकाबले जुलाई में मौतों की संख्या में 58 फीसदी कमी आई है। 1 से 12 जून के दौरान इन अस्पतालों में 361 मौतें हुई थीं, जबकि 1 से 12 जुलाई के बीच 154 मौतें हुई हैं।

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सभी बडे़ कोविड अस्पतालों में मृत्युदर में कमी आई है। जून में आरएमएल अस्पताल में मृत्युदर (कुल भर्ती बनाम मौत) 81 फीसदी थी, जो जुलाई में घटकर 58 प्रतिशत रह गई है। सफदरजंग अस्पताल में जून में मृत्युदर 40 फीसदी थी, जो अब  31 फीसदी है।
दिल्ली सरकार के सबसे बड़े कोविड अस्पताल एलएनजेपी में पिछले महीने मृत्युदर 28 फीसदी थी, जो जुलाई की शुरूआत में 16 फीसदी रह गई। दिल्ली सरकार के राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सबसे कम मरीजों की मौत हुई है। यहां जून की शुरुआत में 6 फीसदी और जुलाई की शुरुआत में 5 फीसदी मौतें हुईं।
जून में अधिक मौत होने का एक कारण यह भी था कि उस दौरान अस्पतालों में भर्ती होने वाले अधिकतर मरीजों की हालत काफी गंभीर थी और कई की भर्ती होने के चार दिनों के भीतर ही मौत हो गई, जबकि कुछ की मौत 24 घंटे के अंदर ही हो गई थी।

मुख्यमंत्री ने मांगी थी विस्तृत जानकारी
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, मृत्युदर को और कम करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि अस्पतालों में हो रही मौत के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए। यह पता लगाया जाए कि वार्ड में कितनी मौत हो रही है और आईसीयू में कितनी। साथ ही बीते महीने के मुकाबले मृत्युदर में कितनी कमी आई है। किस अस्पताल में कितनी मौत हो रही हैं। इसकी जानकारी देने के लिए भी कहा गया था।

अस्पतालों ने जारी की रिपोर्ट
अस्पतालों से जारी रिपोर्ट के अनुसार, अधिक मृत्युदर वाले अस्पतालों में आरएमएल में 39 फीसदी, सफदरजंग में 35 फीसदी, जीटीबी 22, एम्स 20 और एलएनजेपी में 15 फीसदी मौत हुई हैं। 1 से 23 जुलाई के दौरान इन अस्पतालों के वार्डों में होने वाली मौतों का प्रतिशत आरएमएल में 43, जीटीबी में 42, एलएनजेपी 38  और सफदरजंग में 18 फीसदी था। होम आईसोलेशन में रहने वालों की ऑक्सीप्लस मीटर की सुविधा देने, एंबुलेंस की सुविधा बढ़ाने, बेड की संख्या बढ़ाने और जांच संख्या बढ़ाने से अस्पतालों में हो रही मौतों में कमी आई है।

 

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